Hindi Summary of The Brook Poetry Class 9th.

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The Brook summary in hindi

सारांश

‘द ब्रुक’ नामक कविता उत्तम पुरुष शैली में लिखी गई है और एक आत्मकथा वेफ रूप में प्रभावित करती है। यह कविता एक यात्रा की तरह बढ़ती है और भिन्न-भिन्न पड़ावों, अनेक प्रकार वेफ उतार-चढ़ाव, और अनेक गतिविध्यिों से गुशरती है।

जलधरा की यात्रा पर्वतों से प्रारम्भ होती है जहाँ बगुला और ‘वूफट्स’ जैसी चिडि़याँ वास करती हैं और वह एक भरी-पूरी नदी में जाकर समाप्त होती है। मार्ग में जलधरा अनेक पहाडि़यों, गाँवों, शहरों, पुलों से गुशरती है। कभी जलधरा बड़ी शक्तिशाली गति से बहती है और कभी अत्यन्त ध्ीमी गति से। वह कभी पफसलों से भरे खेतों वेफ किनारों को काटती हुई चलती है। जलधरा में अनेक प्रकार की मछलियाँ तैरती हैं, वह पूफलों, पेड़ों और जंगली पौधें का घर है। जलधरा प्रेमियों वेफ मिलने का स्थान भी है और छोटी-छोटी चिडि़याँ भी उसकी धरा पर तैरती हैं। उसकी तेशी से बहती हुई धरा पर सूर्य की किरणें नृत्य करती हैं

यह छोटी जलधरा अपनी यात्रा में पिफसलते, खिसकते, सरकते, नाचते, रुकते और किनारों से बाहर निकलते हुए आगे बढ़ती जाती है। चाँदनी और सितारों की रोशनी में वह बुदबुदाने लगती है। अपनी यात्रा में जलधरा अनेक अड़चनों, अवरोधें को पार करती हुई अन्त में अपने निर्धरित स्थान पर पहुँच जाती है। झरने की यात्रा मानव जीवन यात्रा वेफ समान है। कवि जलधरा और मानव जीवन की तुलना करते हुए अपनी यह विचारधरा सबवेफ सामने लाना चाहता है कि जलधरा निरंतर चलती रहती है, वह अनंत है परन्तु मानव जीवन अस्थायी है, अल्प या वुफछ समय वेफ ही लिए है। कवि चाहते हैं कि जिस तरह सारे उतार-चढ़ाव का जलधरा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता, उसकी यात्रा में बाध नहीं आती, उसी तरह मानव भी इससे शिक्षा ले और बाधाओं और दुखों से प्रभावित न हो और निरंतर कर्म करता रहे।

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